Hanuman Chalisa lyrics in hindi|हनुमान चालीसा आरती

Hanuman chalisa lyrics, हनुमान चालीसा हिंदी में-कई लोग हनुमान चालीसा रोजाना करते हैं।हनुमान चालीसा करने से मन शांत होता हैं।रोजाना हनुमान चालीसा पाठ पढ़ने से दुख, संकट दूर होता हैं।हनुमान जी हमेशा प्रसन्न रहते हैं।

हनुमान चालीसा के अलावा सुन्दरकांड, बजरंग बाण भी कर सकते हैं।बजरंग बाण महिलाएं नही कर सकती हैं वही सुंदरकांड को महिलाएं आसानी से कर सकती हैं।हर मंगलवार को लाल या नारंगी रंग के झंडे जिसमें राम लिखा है उसे हनुमान जी को चढ़ाने से हनुमान जी प्रसन्न होते हैं।

चलिए हनुमान चालीसा के बारे में कुछ बातें जान लेते हैं।

हनुमान चालीसा के रचयितातुलसीदास
हनुमान चालीसा कब लिखी गयी16 Century CE
हनुमान चालीसा किस भाषा में लिखी गईअवधि
हनुमान चालीसा कुल चौपाई40
हनुमान चालीसा कुल दोहे3
हनुमान चालीसा पढ़ने का शुभ दिनमंगलवार
हनुमान चालीसा कब पढ़ेहनुमान चालीसा आप कभी भी पढ़ सकते हैं।
हनुमान चालीसा मंत्रनारसिंहाय ॐ हां हीं हूं हौं हः सकलभीतप्रेतदमनाय स्वाहाः’
क्या बजरंग बाण महिलाएं कर सकती हैंनही
हनुमान जी क्या पसंद हैंसिन्दूर, तुलसी दल, तील का तेल

Hanuman chalisa lyrics in hindi|हनुमान चालीसा lyrics हिंदी में

इस article में हनुमान चालीसा पाठ U की कोशिश करेंगे जो आप शायद ढूंढ रहे हो।हनुमान जी हर घर में पूजे जाते हैं।हनुमान चालीसा लगभग सभी घरों, और मंदिरों में पढ़ा जाता हैं।
कई लोगों को हनुमान चालीसा याद नही रहता हैं।वे लोग हनुमान चालीसा को online ढूंढते हैं।इसी को देखते हुए हमने आपके लिए हनुमान चालीसा की पूरी पाठ को बतलाने की कोशिश की हैं।
Hanuman chalisa

हनुमान चालीसा दोहा

श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि ।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ॥
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन कुमार
बल बुधि विद्या देहु मोहि, हरहु कलेश विकार।

चौपाई

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥१॥
राम दूत अतु-लित बलधामा
अंजनिपुत्र पवन सुत नामा॥२॥
महाबीर विक्रम बजरंगी
कुमति-निवार सुमतिके संगी॥३॥
कंचनबरन बिराज सुबेसा
कानन-कुंडल कुँचित केसा॥४॥
हाथबज्र अरु ध्वजा बिराजे
काँधे मूँज जनेऊसाजे॥५॥
शंकरसुवन केसरी नंदन
तेजप्रताप महा जगवंदन॥६॥
विद्यावानगुनी अति चातुर
रामकाज करिबे को आतुर॥७॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया
राम लखन सीता मनबसिया॥८॥
सूक्ष्म रूप धरि सियहि दिखावा
विकट रूप धरि लंक जरावा॥९॥
भीम रूप धरि असुर सँहारे
रामचंद्र के काज सवाँरे॥१०॥
लाय सजीवन लखन जियाए
श्री रघुबीर हरषि उर लाए॥११॥
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई
तुम मम प्रिय भरत-हि सम भाई॥१२॥
सहस बदन तुम्हरो जस गावै
अस कहि श्रीपति कंठ लगावै॥१३॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा
नारद सारद सहित अहीसा॥१४॥
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते
कवि कोविद कहि सके कहाँ ते॥१५॥
तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा
राम मिलाय राज पद दीन्हा॥१६॥
तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना
लंकेश्वर भये सब जग जाना॥१७॥
जुग सहस्त्र जोजन पर भानू
लिल्यो ताहि मधुर फ़ल जानू॥१८॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही
जलधि लाँघि गए अचरज नाही॥१९॥
 
दुर्गम काज जगत के जेते
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥२०॥
राम दुआरे तुम रखवारे
होत ना आज्ञा बिनु पैसारे॥२१॥
सब सुख लहैं तुम्हारी सरना
तुम रक्षक काहु को डरना॥२२॥
आपन तेज सम्हारो आपै
तीनों लोक हाँक तै कापै॥२३॥
भूत पिशाच निकट नहि आवै
महावीर जब नाम सुनावै॥२४॥
नासै रोग हरे सब पीरा
जपत निरंतर हनुमत बीरा॥२५॥
संकट तै हनुमान छुडावै
मन क्रम वचन ध्यान जो लावै॥२६॥
सब पर राम तपस्वी राजा
तिनके काज सकल तुम साजा॥२७॥
और मनोरथ जो कोई लावै
सोई अमित जीवन फल पावै॥२८॥
चारों जुग परताप तुम्हारा
है परसिद्ध जगत उजियारा॥२९॥
साधु संत के तुम रखवारे
असुर निकंदन राम दुलारे॥३०॥
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता
अस बर दीन जानकी माता॥३१॥
राम रसायन तुम्हरे पासा
सदा रहो रघुपति के दासा॥३२॥
तुम्हरे भजन राम को पावै
जनम जनम के दुख बिसरावै॥३३॥
अंतकाल रघुवरपुर जाई
जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई॥३४॥
और देवता चित्त ना धरई
हनुमत सेई सर्व सुख करई॥३५॥
संकट कटै मिटै सब पीरा
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥३६॥
जै-जै-जै हनुमान गुसाईँ
कृपा करहु गुरुदेव की नाई॥३७॥
जो सतबार पाठ कर कोई
छूटहि बंदि महासुख होई॥३८॥
जो यह पढ़े हनुमान चालीसा
होय सिद्ध साखी गौरीसा॥३९॥
तुलसी दास सदा हरिचेरा
कीजैनाथ हृदय महडेरा॥४०॥

Hanuman chalisa Doha

पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥

Hanuman chalisa lyrics meaning in hindi

श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुर सुधार|
बरनौ रघुवर बिमल जसु , जो दायक फल चारि|
बुद्धिहीन तनु जानि के , सुमिरौ पवन कुमार|
बल बुद्धि विद्या देहु मोहि हरहु कलेश विकार||
अर्थ- पहले पंक्ति का मतलब हैं कि तुलसीदास जी हनुमान जी की वंदना करने से पहले अपने दोष और गलती की माफी मांग रहे हैं।गुरु जी के चरण कमलों की धूल से अपने मन रूपी दर्पण को पवित्र करता हूँ और फिर रघुवीर के निर्मल यश का वर्णन करने जा रहा हूं, जो की चारों फल( धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष) की प्राप्ति कराने वाले है।
अर्थ-दूसरे पंक्ति में तुलसीदास जी से कह रहे हैं कि हे पवन कुमार!मैं आपके सामने सुमिरन कर रहा हूं।आप तो जानते ही हैं कि मेरा शरीर और बुद्धि निर्बल व कमजोर है। मुझे शारीरिक शक्ति प्रदान कीजिये, सद्‍बुद्धि एवं ज्ञान दीजिए और मेरे दुखों व दोषों का नाश कीजिये।
।।चौपाई।।
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर, जय कपीस तिंहु लोक उजागर|
रामदूत अतुलित बल धामा अंजनि पुत्र पवन सुत नामा||2||
अर्थ- हनुमान जी, आपकी जय हो, आपके पास ज्ञान और गुण का भंडार है। हे कपीश्वर! आपकी जय हो! तीनों लोक , स्वर्ग लोक, भूलोक और पाताल लोक में आप पूजनीय हो।हे पवनसुत अंजनी पुत्र, आपके जैसा बलवान दूजा कोई नहीं हैं।
महाबीर बिक्रम बजरंगी कुमति निवार सुमति के संगी|
कंचन बरन बिराज सुबेसा, कान्हन कुण्डल कुंचित केसा||4|
अर्थ- हे बजरंग बली, आप विशेष पराक्रम शक्ति वाले हो। आप विनाशी बुद्धि को नष्ट करने वाले हो, और सधबुद्धि वालों के साथी, सहायक हो।सुनहरे रंग, कानों में कुण्डल, सुंदर वस्त्र और घुंघराले बालों से सुशोभित हैं।
हाथ ब्रज औ ध्वजा विराजे कान्धे मूंज जनेऊ साजे|
शंकर सुवन केसरी नन्दन तेज प्रताप महा जग बन्दन||6||
अर्थ- आपके हस्त में बज्र और ध्वजा है और कांधे पर मूंज जनेऊ ने सुशोभित कर रखा है। आप शंकर के अवतार हो! हे केसरी नंदन आपकी तेज पराक्रम और महान यश को पूरे संसार भर में जाना जाता है।
विद्यावान गुनी अति चातुर राम काज करिबे को आतुर|
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया रामलखन सीता मन बसिया||8||
अर्थ- आपके पास प्रकण्ड विद्या का निधान है, गुणवान और अति कुशल होकर राम के काज के लिए आतुर रहते हो। आप श्री राम चरित सुनने में आनन्द रस लेते है।भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण आपके हृदय में बसे है।
सूक्ष्म रूप धरि सियंहि दिखावा बिकट रूप धरि लंक जरावा|
भीम रूप धरि असुर संहारे रामचन्द्र के काज सवारे||10||
अर्थ- अपना सूक्ष्म रूप धारण करके माता सीता को दिखाया और अपने भयंकर रूप से लंका को जलाया।आपने विकराल रूप धारण करके राक्षसों को मारा और श्री रामचन्द्र जी के उद्‍देश्यों को सफल कराया।
लाये सजीवन लखन जियाये श्री रघुबीर हरषि उर लाये|
रघुपति कीन्हि बहुत बड़ाई तुम मम प्रिय भरत सम भाई||12||
अर्थ- संजीवनी बूटी लाकर आपने लक्ष्मण जी को बचाया जिसके कारण भगवान राम ने खुश होकर आपको हृदय से लगाया।भगवान रामचन्द्र ने आपकी प्रशंसा करते हुए कहा कि तुम मेरे प्यारे भाई भरत जैसे हो।
सहस बदन तुम्हरो जस गावें अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावें|
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा नारद सारद सहित अहीसा||14||
Meaning|अर्थ- श्री राम जी ने आपको यह कहकर हृदय से लगा लिया की आपका यश हजार मुख से ज्यादा सराहनीय है।सनक, सनातन, सनन्दन, सनत्कुमार, मुनि, ब्रह्मा ,नारद जी, सरस्वती जी, शेषनाग जी सभी आपका गुणगान करती है।
जम कुबेर दिगपाल कहां ते कबि कोबिद कहि सके कहां ते|
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा राम मिलाय राज पद दीन्हा||16||
Meaning|अर्थ- यमराज, कुबेर सभी दिशाओं के रक्षक, विद्वान, पंडित कवि या कोई भी आपके यश का पूरी तरह वर्णन नहीं कर सकते। आपने सुग्रीव जी को भगवान राम से मिलाकर ऐसा उपकार किया, जिसकी वजह से वे राजा बने।
तुम्हरो मन्त्र विभीषन माना लंकेश्वर भये सब जग जाना|
जुग सहस्र जोजन पर भानु लील्यो ताहि मधुर फल जानु||18|
Meaning|अर्थ- आपके उपदेश को विभिषण जी ने भली भांति पालन किया जिसकी वजह से वह लंका के राजा बने, इसको संसार अच्छी तरह से जानता है।सूर्य जो कि इतने योजन दूरी पर मौजूद है वहाँ पहुंचने के लिए हजार युग लगते हैं।इतनी लंबी दो हजार योजन की दूरी में पहुँचकर आपने सूर्य को एक मीठा फल समझकर निगल लिया।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख मांहि जलधि लांघ गये अचरज नाहिं|
दुर्गम काज जगत के जेते सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते||20||
Meaning|अर्थ- आपने रामचन्द्र जी के अंगूठी को मुंह में रखकर पूरे समुद्र को लांघ लिया, तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं हुआ तो फिर संसार में जितने भी कठिन कार्य हो, वो आपकी कृपा से सहज बन जाते है।
राम दुवारे तुम रखवारे होत न आज्ञा बिनु पैसारे|
सब सुख लहे तुम्हारी सरना तुम रक्षक काहें को डरना||22||
Meaning|अर्थ- भगवान राम के द्वार के आप रखवाले है, जहाँ आपकी आज्ञा के बिना कोई प्रवेश भी नहीं कर सकता हैं।इसका अर्थ है कि आपकी प्रसन्नता के बिना राम कृपा पूरी तरह दुर्लभ है।जो कोई भी आपके शरण में आता है, उन सभी को आनन्द प्राप्त होता है, और जब आप रक्षक है, तो फिर किसी को डरने की जरूरत ही क्यों।
आपन तेज सम्हारो आपे तीनों लोक हांक ते कांपे|
भूत पिशाच निकट नहीं आवें महाबीर जब नाम सुनावें||24||
Meaning|अर्थ- आपके अलावा आपके गति को कोई नहीं रोक सकता, आपके गर्जन से तीनों लोक कांप उठते है।जहां महावीर (हनुमान) का नाम सुनाया जाता है, वहां भूत, पिशाच निकट भी नही आते हैं।
नासे रोग हरे सब पीरा जपत निरंतर हनुमत बीरा|
संकट ते हनुमान छुड़ावें मन क्रम बचन ध्यान जो लावें||26||
Meaning|अर्थ- हे वीर हनुमान! आपकी निरंतर जाप करने से सभी रोग दूर हो जाते है और सब पीड़ा खत्म हो जाती है। हे हनुमान जी!जिनका भी विचार करने समय , कर्म करने समय और बोलने समय ध्यान आपकी तरफ रहता है, उनकी सारी संकटों का आप निवारण करते है।
सब पर राम तपस्वी राजा तिनके काज सकल तुम साजा|
और मनोरथ जो कोई लावे सोई अमित जीवन फल पावे||28||
Meaning|अर्थ- तपस्वी राजा श्री रामचन्द्र सबसे श्रेष्ठ है, उनके सभी कार्यों को आपने सहज दिया। जिस पर आपकी दया कृपा होगी, उसे सभी मनोकामनाओ का फल जरूर मिलता है जिसकी कोई सीमा नहीं होती हैं।
चारों जुग परताप तुम्हारा है परसिद्ध जगत उजियारा|
साधु संत के तुम रखवारे। असुर निकंदन राम दुलारे||30||
Meaning|अर्थ- चारो युग (सतयुग, त्रेता, द्वापर तथा कलियुग) में आपका यश फैला है, जगत में आपकी कीर्ति सभी जगह प्रकाशमान रहेगी।राम के दुलारे! आप अच्छे की रक्षा करने और दुष्टों का नाश करने वाले है।
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता|
राम रसायन तुम्हरे पासा सदा रहो रघुपति के दासा||32||
Meaning|अर्थ- हे हनुमान आपको माता जानकी से वरदान मिला है, जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौवों निधियां दे सकते है।आप हमेशा श्री रघुनाथ के शरण में रहते है, जिसके कारण आपके पास बुढ़ापा और असाध्य रोगों के नाश के लिए राम नाम की औषधि मौजूद है।
तुम्हरे भजन राम को पावें जनम जनम के दुख बिसरावें|
अन्त काल रघुबर पुर जाई जहां जन्म हरि भक्त कहाई||34||
Meaning|अर्थ- आपके भजन से भगवान राम की प्राप्ति होती है और जन्म जन्म के दुख दूर हो जाते है।अंत समय में रघुनाथ जी के धाम को जाएंगे और यदि दुबारा जन्म लेंगे तो आपकी भक्ति करेंगे और श्री राम भक्त कहलाएंगे।
और देवता चित्त न धरई हनुमत सेई सर्व सुख करई|
संकट कटे मिटे सब पीरा जपत निरन्तर हनुमत बलबीरा ||36||
Meaning|अर्थ- हे हनुमान! आपकी सेवा करने पर सभी तरह की सुख की प्राप्ति होगी।किसी अन्य देवता की आवश्यकता नहीं पड़ती हैं। हे हनुमान जी, जो आपको पूजता है, उसके सारे संकट दूर हो जाते है और सब पीड़ा खत्म हो जाते है।
जय जय जय हनुमान गोसाईं कृपा करो गुरुदेव की नाईं|
जो सत बार पाठ कर कोई छूटई बन्दि महासुख होई||38||
Meaning|अर्थ- हे हनुमान जी, आपकी जय हो, जय हो, जय हो! आप मुझ पर कृपालु के समान कृपा कीजिए।जो कोई भी हनुमान चालीसा पाठ को सौ बार करेगा उन्हें सभी बाधावो से छुटकारा मिल जाएगा और सुख हासिल होगा।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा होय सिद्धि साखी गौरीसा|
तुलसीदास सदा हरि चेरा कीजै नाथ हृदय मंह डेरा||40||
अर्थ-  जो कोई भी हनुमान चालीसा पढ़ेगा उसे निश्चय ही सफलता प्राप्त होगी। हैं हनुमान जी! तुलसीदास जी सदैव श्री राम के दास रह चुके।इसलिए आप उनके हृदय में निवास कीजिए।
।।दोहा।।
पवन तनय संकट हरन मंगल मूरति रूप|
राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप||
अर्थ- हे संकट मोचन पवन कुमार, आप आनंद मंगलों के स्वरूप हो। हे हनुमान! आप भगवान राम, माता सीता जी और लक्ष्मण सहित मेरे हृदय में निवास करें।


हनुमान चालीसा पाठ पढ़ने की विधि|hanuman chalisa padhne ki vidhi

  1. सुबह स्नान करके
  2. साफ सुथरे वस्त्र को पहन ले।
  3. Face को पूर्व या दक्षिण दिशा में रखें
  4. आसन में लाल कपड़े का इस्तेमाल करें।
  5. हनुमान जी की प्रतिमा को लाल वस्त्र के ऊपर पूर्व दिशा या दक्षिण दिशा में रखे
  6. शुद्ध घी या तिल के तेल का दीपक जलाएं
  7. शुद्ध जल भरा बर्तन सामने रखें
  8. अब हनुमान जी के प्रतिमा के  सामने 3 बार हनुमान चालीसा का पाठ पढ़े।
  9. अब हनुमान जी को लड्डू का भोग लगाएं।
  10. हर मंगलवार 11 से 21 दिन तक हनुमान चालीसा का पाठ इस तरह से करने से हनुमान जी प्रसन्न होते हैं।


हनुमान चालीसा पाठ करने के फायदे|Benifits of hanuman  chalisa 

  1. रोजाना हनुमान चालीसा पाठ करने से शनिदेव हमेशा प्रसन्न रहते हैं।
  2. महादशा से पीड़ित के लिए हनुमान चालीसा पाठ लाभदायक माना जाता है।
  3. मंगलवार को हनुमान चालीसा पाठ करने से घर में सुख समृद्धि में बढ़ौतरी होती हैं।
  4. मांगलिक दोष कुंडली वालो के लिए हनुमान चालीसा पाठ अतिलाभदायक साबित होने वाला है।
  5. मन शांति, सुख समृद्धि पाने के लिए हनुमान चालीसा पाठ अवश्य करें।

Hanuman Ji images|हनुमान जी तस्वीर

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हनुमान जी के चमत्कारी मंत्र:जाने सारे मंत्र

हनुमान जी को मनाने के लिए ,उन्हें प्रभावित करने के लिए यह मंत्र बहुत ही कारगर साबित होने वाली हैं।इन मंत्रों का वंदन करने से हनुमान जी प्रसन्न होते हैं। 
  1. ॐ हं हनुमते नम:।
  2. ॐ हं पवननन्दनाय स्वाहा।’
  3. ॐ नमो भगवते हनुमते नम:।
  4. ‘ॐ नमो हरि मर्कट मर्कटाय स्वाहा
  5. ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकायं हुं फट्।
  6. ॐ नमो भगवते आंजनेयाय महाबलाय स्वाहा।
  7. दुर्गम काज जगत के जेते, सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।’
  8. और मनोरथ जो कोई लावै,सोई अमित जीवन फल पावै।’ 

Frequently asked questions[FAQ]

Who wrote hanuman chalisa|हनुमान चालीसा किसने लिखा?
Tulsidas

When was hanuman chalisa written|हनुमान चालीसा कब लिखा गया था?
16th century CE

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हनुमान चालीसा हिंदी में|Hanuman chalisa hindi mein (2023)

हनुमान चालीसा हिंदी में-आज हमलोग इस article में हनुमान चालीसा पाठ देखेंगे जो आप शायद ढूंढ रहे हो।हनुमान जी सभी घरों में पूजनीय हैं।इनकी चालीसा लगभग हर घरों, और मंदिरों में पढ़ा जाता हैं। कई … Read more

Laxmi ji ki aarti|माँ लक्ष्मी जी की आरती

Laxmi ji ki aarti, माँ लक्ष्मी जी की आरती-माँ लक्ष्मी जी के आशीर्वाद से धन, ज्ञान, लक्ष्मी की प्राप्ति होती हैं।लक्ष्मी जी को धन की देवी कहा जाता हैं।जिस भी घर में भगवान लक्ष्मी का वास होता हैं उस घर में कभी भी धन, वैभव, की कमी नही होती हैं।

जिस भी घर में लक्ष्मी जी की पूजा होती हैं उस घर में लक्ष्मी हमेशा अपना प्रकट बनाये रखती हैं।लक्ष्मी जी की आरती करने से घर में लष्मी जी अपना प्रकट बनाये रखती हैं।

माँ लक्ष्मी की आरती जिस भी घर में हर रोज सुनी जाती हैं वहाँ धन की कमी कभी भी नही होती हैं।

हमारे भारत में दीपावली एक सबसे बड़ा पर्व हैं।इस दिन को बहुत ही शुभ दिन माना जाता हैं।दीपावली में माता लक्ष्मी और भगवान गणेश जी की पूजा की जाती हैं।इस दिन लक्ष्मी जी पूजा करने से धन, वैभव, की प्राप्ति हैं।

जो भी माँ लक्ष्मी की यह आरती सुनता हैं, उन्हें कभी भी धन की कमी नही होती हैं।

जिस घर में माँ लक्ष्मी की पूजा होती हैं उस घर में कभी भी धन वैभव की कमी नही होती हैं।

Laxmi ji ki aarti
Laxmi ji ki aarti

Laxmi ji ki aarti Lyrics|माँ लक्ष्मी जी की आरती लिरिक्स

ॐ जय लक्ष्मी माता, तुमको निशदिन सेवत,

मैया जी को निशदिन सेवत,

हर विष्णु विधाता, 

“ॐ जय लक्ष्मी माता”

उमा रमा ब्रम्हाणी, तुम ही जग माता

ओ मैया तुम ही जग माता

सूर्य चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता 

“ॐ जय लक्ष्मी माता”

दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पति दाता

ओ मैया सुख सम्पति दाता

जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि सिद्धि धन पाता 

“ॐ जय लक्ष्मी माता”

तुम पाताल निवासिनी, तुम ही शुभ दाता

ओ मैया तुम ही शुभ दाता

कर्म प्रभाव प्रकाशिनी, भव निधि की दाता 

“ॐ जय लक्ष्मी माता”

जो भी माँ लक्ष्मी की आरती रोज सुनता हैं उन्हें धन की कमी कभी नही होती है।

जिस घर तुम रहती तहाँ सब सदगुण आता

ओ मैया सब सदगुण आता

सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता 

“ॐ जय लक्ष्मी माता”

तुमबिन यज्ञ न होता, वस्त्र न कोई पाता,

ओ मैया वस्त्र ना पाता

खानपान का वैभव, सब तुम से आता,

“ॐ जय लक्ष्मी माता”

शुभ गुण मंदिर सुन्दर, क्षीरोदधि जाता

ओ मैया क्षीरोदधि जाता

रत्ना चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता 

“ॐ जय लक्ष्मी माता”

धुप दीप फल मेवा, माँ स्वीकार करो

मैया माँ स्वीकार करो

ज्ञान प्रकाश करो माँ, मोहा अज्ञान हरो 

“ॐ जय लक्ष्मी माता”

महा लक्ष्मी जी की आरती, जो कोई जन गाता

ओ मैया जो कोई गाता

उर आनंद समाता, पाप उतर जाता 

“ॐ जय लक्ष्मी माता”

Mata Laxmi Ji ki aarti|माता लक्ष्मी की आरती

Om jay laxmi mata, tumko nisdin sewat

Mayyaji ko nisdin sewat,

Har vishnu vidhata,

“Om jai laxmi mata”

Uma Rama, brahmani, tum hi jag mata,

O Mayya Tum hi jag mata

Surya chandrama dhyawat,Narad Rishi gata

Om jay laxmi mata.

Durga roop niranjani, sukh sampati data,

O mayya sukh sampati data,

Jo koi tumko dhyawat, ridhi sidhi dhan pata,

Om jay laxmi mata.

Tum patal niwashani , tum hi shubh data,

O mayya tum hi shubh data,

Karm prabhav prakashani, bhav nidhi ki data,

“Om jay laxmi mata”

Jis ghar tum rahti, taha sab sadgun aata

O mayya sab sadgun aata.

Sab shambhav hojata , man nhi ghabrata,

“Om jay laxmi mata”

Tum bin yagya na hota, wastra na koi pata.

O mayya wastra na koi pata,

Khaan paan ka vaibhav, sab tumse aata

“Om jay laxmi mata”

Shubh goon mandir sundar, kshirodhati jata,

O mayya kshirodhati jata,

Ratna chaturdash tum bin, koi nhi pata,

“Om jay laxmi mata”

Dhup deep fal mewa, maa swikar karo,

Mayya maa swikar karo,

Gyan prakash karo maa, moha agyan haro,

“Om jay laxmi mata”

Maha laxmi ji ki aarti, jo koi jan gata,

O mayya jo koi gaata,

Ur anand samata, paap utar jata,

“Om jay laxmi mata”

Laxmi ji ki aarti Video

FAQs on Laxmi ji ki aarti

भगवान लक्ष्मी कौन हैं?
हिन्दू धर्म में धन की देवी, सुख-संपति बढ़ाने वाली देवी को भगवान लक्ष्मी बोलते हैं।जिस घर में माता लक्ष्मी का वास होता हैं उस घर में कभी भी कमी नहीं होती हैं।

महालक्ष्मी के कितने अवतार हैं?
माता लक्ष्मी के 8 अवतार हैं।माता लक्ष्मी के सभी अवतार  बैकुंठ में निवास करती हैं।

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