श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुर सुधार|
बरनौ रघुवर बिमल जसु , जो दायक फल चारि|
बुद्धिहीन तनु जानि के , सुमिरौ पवन कुमार|
बल बुद्धि विद्या देहु मोहि हरहु कलेश विकार||
अर्थ- पहले पंक्ति का मतलब हैं कि तुलसीदास जी हनुमान जी की वंदना करने से पहले अपने दोष और गलती की माफी मांग रहे हैं।गुरु जी के चरण कमलों की धूल से अपने मन रूपी दर्पण को पवित्र करता हूँ और फिर रघुवीर के निर्मल यश का वर्णन करने जा रहा हूं, जो की चारों फल( धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष) की प्राप्ति कराने वाले है।
अर्थ-दूसरे पंक्ति में तुलसीदास जी से कह रहे हैं कि हे पवन कुमार!मैं आपके सामने सुमिरन कर रहा हूं।आप तो जानते ही हैं कि मेरा शरीर और बुद्धि निर्बल व कमजोर है। मुझे शारीरिक शक्ति प्रदान कीजिये, सद्बुद्धि एवं ज्ञान दीजिए और मेरे दुखों व दोषों का नाश कीजिये।
।।चौपाई।।
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर, जय कपीस तिंहु लोक उजागर|
रामदूत अतुलित बल धामा अंजनि पुत्र पवन सुत नामा||2||
अर्थ- हनुमान जी, आपकी जय हो, आपके पास ज्ञान और गुण का भंडार है। हे कपीश्वर! आपकी जय हो! तीनों लोक , स्वर्ग लोक, भूलोक और पाताल लोक में आप पूजनीय हो।हे पवनसुत अंजनी पुत्र, आपके जैसा बलवान दूजा कोई नहीं हैं।
महाबीर बिक्रम बजरंगी कुमति निवार सुमति के संगी|
कंचन बरन बिराज सुबेसा, कान्हन कुण्डल कुंचित केसा||4|
अर्थ- हे बजरंग बली, आप विशेष पराक्रम शक्ति वाले हो। आप विनाशी बुद्धि को नष्ट करने वाले हो, और सधबुद्धि वालों के साथी, सहायक हो।सुनहरे रंग, कानों में कुण्डल, सुंदर वस्त्र और घुंघराले बालों से सुशोभित हैं।
हाथ ब्रज औ ध्वजा विराजे कान्धे मूंज जनेऊ साजे|
शंकर सुवन केसरी नन्दन तेज प्रताप महा जग बन्दन||6||
अर्थ- आपके हस्त में बज्र और ध्वजा है और कांधे पर मूंज जनेऊ ने सुशोभित कर रखा है। आप शंकर के अवतार हो! हे केसरी नंदन आपकी तेज पराक्रम और महान यश को पूरे संसार भर में जाना जाता है।
विद्यावान गुनी अति चातुर राम काज करिबे को आतुर|
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया रामलखन सीता मन बसिया||8||
अर्थ- आपके पास प्रकण्ड विद्या का निधान है, गुणवान और अति कुशल होकर राम के काज के लिए आतुर रहते हो। आप श्री राम चरित सुनने में आनन्द रस लेते है।भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण आपके हृदय में बसे है।
सूक्ष्म रूप धरि सियंहि दिखावा बिकट रूप धरि लंक जरावा|
भीम रूप धरि असुर संहारे रामचन्द्र के काज सवारे||10||
अर्थ- अपना सूक्ष्म रूप धारण करके माता सीता को दिखाया और अपने भयंकर रूप से लंका को जलाया।आपने विकराल रूप धारण करके राक्षसों को मारा और श्री रामचन्द्र जी के उद्देश्यों को सफल कराया।
लाये सजीवन लखन जियाये श्री रघुबीर हरषि उर लाये|
रघुपति कीन्हि बहुत बड़ाई तुम मम प्रिय भरत सम भाई||12||
अर्थ- संजीवनी बूटी लाकर आपने लक्ष्मण जी को बचाया जिसके कारण भगवान राम ने खुश होकर आपको हृदय से लगाया।भगवान रामचन्द्र ने आपकी प्रशंसा करते हुए कहा कि तुम मेरे प्यारे भाई भरत जैसे हो।
सहस बदन तुम्हरो जस गावें अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावें|
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा नारद सारद सहित अहीसा||14||
Meaning|अर्थ- श्री राम जी ने आपको यह कहकर हृदय से लगा लिया की आपका यश हजार मुख से ज्यादा सराहनीय है।सनक, सनातन, सनन्दन, सनत्कुमार, मुनि, ब्रह्मा ,नारद जी, सरस्वती जी, शेषनाग जी सभी आपका गुणगान करती है।
जम कुबेर दिगपाल कहां ते कबि कोबिद कहि सके कहां ते|
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा राम मिलाय राज पद दीन्हा||16||
Meaning|अर्थ- यमराज, कुबेर सभी दिशाओं के रक्षक, विद्वान, पंडित कवि या कोई भी आपके यश का पूरी तरह वर्णन नहीं कर सकते। आपने सुग्रीव जी को भगवान राम से मिलाकर ऐसा उपकार किया, जिसकी वजह से वे राजा बने।
तुम्हरो मन्त्र विभीषन माना लंकेश्वर भये सब जग जाना|
जुग सहस्र जोजन पर भानु लील्यो ताहि मधुर फल जानु||18|
Meaning|अर्थ- आपके उपदेश को विभिषण जी ने भली भांति पालन किया जिसकी वजह से वह लंका के राजा बने, इसको संसार अच्छी तरह से जानता है।सूर्य जो कि इतने योजन दूरी पर मौजूद है वहाँ पहुंचने के लिए हजार युग लगते हैं।इतनी लंबी दो हजार योजन की दूरी में पहुँचकर आपने सूर्य को एक मीठा फल समझकर निगल लिया।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख मांहि जलधि लांघ गये अचरज नाहिं|
दुर्गम काज जगत के जेते सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते||20||
Meaning|अर्थ- आपने रामचन्द्र जी के अंगूठी को मुंह में रखकर पूरे समुद्र को लांघ लिया, तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं हुआ तो फिर संसार में जितने भी कठिन कार्य हो, वो आपकी कृपा से सहज बन जाते है।
राम दुवारे तुम रखवारे होत न आज्ञा बिनु पैसारे|
सब सुख लहे तुम्हारी सरना तुम रक्षक काहें को डरना||22||
Meaning|अर्थ- भगवान राम के द्वार के आप रखवाले है, जहाँ आपकी आज्ञा के बिना कोई प्रवेश भी नहीं कर सकता हैं।इसका अर्थ है कि आपकी प्रसन्नता के बिना राम कृपा पूरी तरह दुर्लभ है।जो कोई भी आपके शरण में आता है, उन सभी को आनन्द प्राप्त होता है, और जब आप रक्षक है, तो फिर किसी को डरने की जरूरत ही क्यों।
आपन तेज सम्हारो आपे तीनों लोक हांक ते कांपे|
भूत पिशाच निकट नहीं आवें महाबीर जब नाम सुनावें||24||
Meaning|अर्थ- आपके अलावा आपके गति को कोई नहीं रोक सकता, आपके गर्जन से तीनों लोक कांप उठते है।जहां महावीर (हनुमान) का नाम सुनाया जाता है, वहां भूत, पिशाच निकट भी नही आते हैं।
नासे रोग हरे सब पीरा जपत निरंतर हनुमत बीरा|
संकट ते हनुमान छुड़ावें मन क्रम बचन ध्यान जो लावें||26||
Meaning|अर्थ- हे वीर हनुमान! आपकी निरंतर जाप करने से सभी रोग दूर हो जाते है और सब पीड़ा खत्म हो जाती है। हे हनुमान जी!जिनका भी विचार करने समय , कर्म करने समय और बोलने समय ध्यान आपकी तरफ रहता है, उनकी सारी संकटों का आप निवारण करते है।
सब पर राम तपस्वी राजा तिनके काज सकल तुम साजा|
और मनोरथ जो कोई लावे सोई अमित जीवन फल पावे||28||
Meaning|अर्थ- तपस्वी राजा श्री रामचन्द्र सबसे श्रेष्ठ है, उनके सभी कार्यों को आपने सहज दिया। जिस पर आपकी दया कृपा होगी, उसे सभी मनोकामनाओ का फल जरूर मिलता है जिसकी कोई सीमा नहीं होती हैं।
चारों जुग परताप तुम्हारा है परसिद्ध जगत उजियारा|
साधु संत के तुम रखवारे। असुर निकंदन राम दुलारे||30||
Meaning|अर्थ- चारो युग (सतयुग, त्रेता, द्वापर तथा कलियुग) में आपका यश फैला है, जगत में आपकी कीर्ति सभी जगह प्रकाशमान रहेगी।राम के दुलारे! आप अच्छे की रक्षा करने और दुष्टों का नाश करने वाले है।
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता|
राम रसायन तुम्हरे पासा सदा रहो रघुपति के दासा||32||
Meaning|अर्थ- हे हनुमान आपको माता जानकी से वरदान मिला है, जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौवों निधियां दे सकते है।आप हमेशा श्री रघुनाथ के शरण में रहते है, जिसके कारण आपके पास बुढ़ापा और असाध्य रोगों के नाश के लिए राम नाम की औषधि मौजूद है।
तुम्हरे भजन राम को पावें जनम जनम के दुख बिसरावें|
अन्त काल रघुबर पुर जाई जहां जन्म हरि भक्त कहाई||34||
Meaning|अर्थ- आपके भजन से भगवान राम की प्राप्ति होती है और जन्म जन्म के दुख दूर हो जाते है।अंत समय में रघुनाथ जी के धाम को जाएंगे और यदि दुबारा जन्म लेंगे तो आपकी भक्ति करेंगे और श्री राम भक्त कहलाएंगे।
और देवता चित्त न धरई हनुमत सेई सर्व सुख करई|
संकट कटे मिटे सब पीरा जपत निरन्तर हनुमत बलबीरा ||36||
Meaning|अर्थ- हे हनुमान! आपकी सेवा करने पर सभी तरह की सुख की प्राप्ति होगी।किसी अन्य देवता की आवश्यकता नहीं पड़ती हैं। हे हनुमान जी, जो आपको पूजता है, उसके सारे संकट दूर हो जाते है और सब पीड़ा खत्म हो जाते है।
जय जय जय हनुमान गोसाईं कृपा करो गुरुदेव की नाईं|
जो सत बार पाठ कर कोई छूटई बन्दि महासुख होई||38||
Meaning|अर्थ- हे हनुमान जी, आपकी जय हो, जय हो, जय हो! आप मुझ पर कृपालु के समान कृपा कीजिए।जो कोई भी हनुमान चालीसा पाठ को सौ बार करेगा उन्हें सभी बाधावो से छुटकारा मिल जाएगा और सुख हासिल होगा।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा होय सिद्धि साखी गौरीसा|
तुलसीदास सदा हरि चेरा कीजै नाथ हृदय मंह डेरा||40||
अर्थ- जो कोई भी हनुमान चालीसा पढ़ेगा उसे निश्चय ही सफलता प्राप्त होगी। हैं हनुमान जी! तुलसीदास जी सदैव श्री राम के दास रह चुके।इसलिए आप उनके हृदय में निवास कीजिए।
।।दोहा।।
पवन तनय संकट हरन मंगल मूरति रूप|
राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप||
अर्थ- हे संकट मोचन पवन कुमार, आप आनंद मंगलों के स्वरूप हो। हे हनुमान! आप भगवान राम, माता सीता जी और लक्ष्मण सहित मेरे हृदय में निवास करें।